मोको कहां ढूंढे रे बंदे,
मैं तो तेरे पास में ।
मोको कहां ढूंढे रे बंदे,
मैं तो तेरे पास में ।
ना तीरथ में ना मूरत में,
ना एकांत निवास में ।
ना मंदिर में, ना मस्जिद में,
ना काबे कैलाश में ।
मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं जप में, ना मैं तप में,
ना मैं व्रत उपवास में ।
ना मैं क्रिया क्रम में रहता,
ना ही योग संन्यास में ।
मैं तो तेरे पास में ।
नहीं प्राण में नहीं पिंड में,
ना ब्रह्माण्ड आकाश में ।
ना मैं त्रिकुटी भवर में,
सब स्वांसो के स्वास में ।
मैं तो तेरे पास में ।
खोजी होए तुरंत मिल जाऊं,
एक पल की ही तलाश में ।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
मैं तो हूँ विश्वास में ।
मैं तो तेरे पास में ।
मोको कहां ढूंढे रे बंदे,
मैं तो तेरे पास में ।
शनि जयंती, भगवान शनि देव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में शनि दोष या साढ़े साती जैसी स्थितियों से मुक्ति कामना करते हैं।
शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
शनि जयंती भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 27 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा, जिस दिन सुकर्मा योग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।