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मोको कहां ढूंढे रे बंदे(Moko Kahan Dhunde Re Bande)

मोको कहां ढूंढे रे बंदे(Moko Kahan Dhunde Re Bande)

मोको कहां ढूंढे रे बंदे,

मैं तो तेरे पास में ।

मोको कहां ढूंढे रे बंदे,

मैं तो तेरे पास में ।

ना तीरथ में ना मूरत में,

ना एकांत निवास में ।

ना मंदिर में, ना मस्जिद में,

ना काबे कैलाश में ।

मैं तो तेरे पास में ।


ना मैं जप में, ना मैं तप में,

ना मैं व्रत उपवास में ।

ना मैं क्रिया क्रम में रहता,

ना ही योग संन्यास में ।

मैं तो तेरे पास में ।


नहीं प्राण में नहीं पिंड में,

ना ब्रह्माण्ड आकाश में ।

ना मैं त्रिकुटी भवर में,

सब स्वांसो के स्वास में ।

मैं तो तेरे पास में ।


खोजी होए तुरंत मिल जाऊं,

एक पल की ही तलाश में ।

कहे कबीर सुनो भाई साधो,

मैं तो हूँ विश्वास में ।

मैं तो तेरे पास में ।


मोको कहां ढूंढे रे बंदे,

मैं तो तेरे पास में ।

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दर्श अमावस्या के खास उपाय

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन खान-पान से जुड़े कुछ खास उपाय किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पौष में सूर्यदेव की पूजा क्यों होती है

पौष मास हिंदू पंचांग का दसवां महीना है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह महीना 13 जनवरी तक रहेगा, जिसके बाद माघ महीने की शुरुआत होगी।

पौष मास है छोटा पितृ पक्ष

पौष मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। सूर्यदेव के कन्या राशि में आने पर होने वाले मुख्य पितृ पक्ष के अलावा इस माह में भी श्राद्ध तथा पिंडदान के अलावा भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है।

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