मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले ।
मेरी स्वास-स्वास में तेरा,
है नाम मुरली वाले ॥
भक्तों की तुमने कान्हा,
विपदा है टारी,
मेरी भी बाह थामो,
आ के बिहारी ।
बिगड़े बनाए तुमने,
हर काम मुरली वाले ॥
मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले ।
पतझड़ है मेरा जीवन,
बन के बहार आजा,
सुन ले पुकार कान्हा,
बस एक बार आजा ।
बैचैन मन के तुम्हीं,
आराम मुरली वाले ॥
मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले ।
तुम हो दया के सागर,
जन्मों की मैं हूँ प्यासी,
दे दो जगह मुझे भी,
चरणों में बस जरा सी ।
सुबह तुम्हीं हो, तुम्हीं ही,
मेरी श्याम मुरली वाले ॥
मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले ।
मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले ।
मेरी स्वास स्वास में तेरा,
है नाम मुरली वाले ॥
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
प्रणम्य शिरसा देवंगौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मेरनित्यमाय्ःकामार्थसिद्धये॥
जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयामदेवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳ सस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः॥