मुझे कैसी फिकर सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे,
मेरे होंठो पे रहती हंसी,
कोई गम ना बस है ख़ुशी,
मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे ॥
कितनी मुश्किल जो आए,
मैं तो खिलखिलाता रहूं,
तेरी किरपा से विपदाओं को,
दूर भगाता रहूं,
मुझे दुनिया की परवाह नहीं,
सिवा तेरे कोई चाह नहीं,
मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे ॥
मेरे संग में जो तू है,
मैं तेरे गीत गाता रहूं,
तेरी चौखट पे हरदम यूँ ही,
श्याम आता रहूं,
तूने थामा है दामन मेरा,
किया अहसान बाबा बड़ा,
मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे ॥
तेरी महिमा को कान्हा,
यूँ ही गुनगुनाता रहूं,
अपने हाथों से सांवरिये को,
रोज सजाता रहूं,
कभी ना बिछड़ूँ दर से तेरे,
‘हर्ष’ अरमान इतने मेरे,
मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे ॥
मुझे कैसी फिकर सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे,
मेरे होंठो पे रहती हंसी,
कोई गम ना बस है ख़ुशी,
मुझे कैसी फ़िक्र सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे ॥
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है।
धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है।
धान्य लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का तीसरा रूप हैं जिसे मां अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा गया है। धान्य का अर्थ है अनाज या अन्न। ऐसे में लक्ष्मी इस स्वरूप में अन्न या अनाज के रूप में वास करती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्ट लक्ष्मी में वीर लक्ष्मी वीरता और साहस की देवी हैं। जो दुश्मनों पर विजय दिलाने में सहायक हैं। वीर लक्ष्मी की प्रचलित पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।