मुझे खाटू बुलाया है,
मुझको बधाई दो सभी,
बाबा श्याम ने बुलाया है,
मुझें खाटू बुलाया है,
मुझको रोको ना कोई,
बाबा श्याम ने बुलाया है ॥
मैं निशान उठाऊंगा,
मैं निशान उठाऊंगा,
रींगस से पैदल चलकर के,
बाबा श्याम को चढ़ाऊंगा ॥
तोरण द्वार जब पहुंचूंगा,
तोरण द्वार जब पहुंचूंगा,
शीश झुकाकर सांवरे,
तेरे चरणों को चूमूंगा ॥
लम्बी लम्बी कतारें है,
लम्बी लम्बी कतारें है,
हमको जीता दो सांवरे,
हम भी दुनिया से हारे है ॥
बड़ी दूर से आया हूँ,
एक फूल मैं लाया हूँ,
इसे स्वीकार कर लो,
सच्ची भावना से लाया हूँ ॥
मैं जल्दी आऊंगा,
मैं जल्दी आऊंगा,
काम बनाना सांवरे,
तेरा शुकर मनाऊंगा,
तेरे भजनो को गाऊंगा ॥
मुझे खाटू बुलाया है,
मुझको बधाई दो सभी,
बाबा श्याम ने बुलाया है,
मुझें खाटू बुलाया है,
मुझको रोको ना कोई,
बाबा श्याम ने बुलाया है ॥
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,
छाती चिर के हनुमान ने,
बता दिए श्री राम,
स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।
हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। स्कंद षष्ठी व्रत जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का एक विशेष अवसर है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं।