ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की (Na Jee Bhar Ke Dekha Naa Kuch Baat Ki)

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।

करो दृष्टि अब तो प्रभु करुना की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,

सभी गोपिया बृज में व्याकुल थी भारी ।

कहा दिन बिताया, कहाँ रात की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


चले आयो अब तो ओ प्यारे कन्हिया,

यह सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया ।

सूना दो अब तो इन्हें धुन मुरली की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


हम बैठे हैं गम उनका दिल में ही पाले,

भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ।

ना उनकी सुनी ना कुछ अपनी कही,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


तेरा मुस्कुराना भला कैसे भूलें,

वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले ।

ना कोयल की कू कू, ना पपीहा की पी,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


तमन्ना यही थी की आएंगे मोहन,

मैं चरणों में वारुंगी तन मन यह जीवन ॥

हाय मेरा यह कैसा बिगड़ा नसीब,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

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मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा(Man Mera Mandir Shiv Meri Pooja)

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
सत्य है ईश्वर,

सफला एकादशी पर अर्पित करें ये चीजें

पौष माह की कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी का व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने और व्रत रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मात अंग चोला साजे (Maat Ang Chola Saje Har Rang Chola Saje)

हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ

ठुमक-ठुमक कर चाल भवानी (Thumak Thumak Kar Chal Bhawani)

सिंह चढी देवी मिले,
गरूड़ चढे भगवान ।

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