नाम है तेरा कृष्ण कन्हैया,
नाथद्वारा सन्मुख होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
जनम जनम की प्यासी अँखियाँ,
दर्शन से सुख पाऊं मैं,
तेरे चरण में मेरा ठिकाना,
और कही क्यों जाऊं मैं,
श्रीनाथ जी के शुभ नैनन में,
श्रीनाथ जी के शुभ नैनन में,
करुणा का सागर होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
मन-मोहिनी मूरत तेरी,
घट घट बसिया श्याम तू ही,
मन मंदिर में मोहन तू ही,
रोम रोम में श्याम तू ही,
साँसों में मेरी बंसी बजाये,
साँसों में मेरी बंसी बजाये,
वो नटवर नागर होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
यमुना तट पर बंशीवट पर,
तेरा रंग निराला है,
राधा के संग रास रचैया,
मोहन मुरली वाला है,
महाप्रभु जी के चरणों में ही,
महाप्रभु जी के चरणों में ही,
हर वैष्णव का घर होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
नाम है तेरा कृष्ण कन्हैया,
नाथद्वारा सन्मुख होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
ॐ जय छठी माता, मैया जय छठी माता,
तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।।
जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥
जगमग जगमग जोत जली है,
राम आरती होन लगी है..
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥