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नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मईआ(Nache Nandlal Nachave Hari Ki Maiya)

नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मईआ(Nache Nandlal Nachave Hari Ki Maiya)

नाचे नन्दलाल,

नचावे हरि की मईआ ॥


नचावे हरि की मईआ,

नचावे हरि की मईआ ।

नाचे नन्दलाल,

नचावे हरि की मईआ ॥

मथुरा मे हरि, जन्म लियो है ॥

गोकुल मे पग, धरो री कन्हैया॥

रुनुक-झुनुक पग, घुँघरू वाज़े ॥

ठुमुक-ठुमुक पग, धरो री कन्हैया॥ ...x2

॥ नाचे नन्दलाल...॥


धोतो न बांधे, जामो न पहिरे ॥

पिताम्बर को, बडो रे पहरैया॥

टोपो न ओढ़े लाला, फेंटा* न बांधे ॥

मोर-मुकुट को, बडो रे ओढैईया॥ ...x2

॥ नाचे नन्दलाल...॥


शाला न ओढ़े, दुशाला ना ओढ़े ॥

काली रे कमरिया को, बडो रे ओढैईया॥

ढूध न भावे, दही ना खावे ॥

माखन-मिसरी को, बड़ो रे खवैईया॥...x2

॥ नाचे नन्दलाल...॥


खेल ना खेले, खिलौना ना खेले ॥

बंसी को लाला, बडो री बजीईया ॥

चंदर सखी भज, बालकृष्ण छवि ॥

हंस हंस कंठ लगावे, हर की मैया ॥ ...x2

॥ नाचे नन्दलाल...॥


नाचे नन्दलाल,

नचावे हरि की मईआ ॥

नचावे हरि की मईआ,

नचावे हरि की मईआ ।

नाचे नन्दलाल,

नचावे हरि की मईआ ॥

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श्री सूर्य देव चालीसा (Shri Surya Dev Chalisa)

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

श्री ब्रह्मा चालीसा (Shri Brahma Chalisa)

जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल।
करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल।

करवा चौथ व्रत कथा (Karva Chauth Vrat Katha)

एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई व बहन एक साथ बैठकर भोजन करते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ का व्रत आया तो भाई बोला कि बहन आओ भोजन करें।

Tune Mujhe Bulaya Sherawaliye (तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये)

साँची ज्योतो वाली माता,
तेरी जय जय कार ।

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