नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
खड़ा हाथ बांधे मैं दर पर तुम्हारे ॥
न करता हूं भक्ति न जप योग साधन ।
कैसे कटेंगे यह माया के बंधन ॥
दुःखी दीन हो के यह मनवा पुकारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
भंवर में पड़ी आ के नैया यह मेरी ।
सहारा न दूजा है इक आस तेरी ॥
तू बन के खिवैया लगा दे किनारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
मैं कामी हूं क्रोधी हूं लोभी अवारा ।
लिया नाम दिल से कभी न तुम्हारा ॥
दया कर क्षमा कर तू बख्श बख्शन हारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
बिनती यही है प्रभु के चरण में ।
आये हैं हम सब तुम्हारी शरण में ॥
करो दूर अवगुण जो होवें हमारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
गंगा दशहरा, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और पुण्यदायक पर्व है। इस दिन का महत्व केवल मां गंगा के धरती पर अवतरण के कारण ही नहीं है, बल्कि यह दिन पितरों के मोक्ष और आत्मिक शांति के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।
गंगा दशहरा, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो इस बार 5 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव मनाया जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है और इसे गंगा स्नान, पूजन और मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।