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नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे(Nandrani Kanhaiya Jabar Bhayo Re)

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे(Nandrani Kanhaiya Jabar Bhayo Re)

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे,

मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥


पनघट पे आके करे जोरा जोरि,

चुपके से आये करे चिर चोरी,

मैया हल्लो मच्यो तो सटक गयो रे,

मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥


मुस्कान इसकी लगे प्यारी प्यारी,

दीवानी हुई इसकी सारी ब्रजनारी,

ऐ की बंसी में जियरो अटैक गयो रे,

मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥


घर घर में जाके ये माखन चुरावे,

खावे सो खावे जमी पे गिरावे,

मैया रोकनो हमारो खटक गयो रे,

मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥


में तो दुखारी गरीबी की मारी,

नही जोर चल्यो तो दीन्ही में गाली,

नंदू बईया कन्हैया झटक गयो रे,

मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥


नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे,

मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥

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कामदा एकादशी की कथा

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।

अप्रैल में कब-कब हैं एकादशी

हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में चैत्र और वैशाख माह रहेगा। इस दौरान दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आएंगे—कामदा एकादशी और वरुथिनी एकादशी।

कामदा एकादशी पर केले के पेड़ की पूजा का महत्व

कामदा एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

कामदा एकादशी अप्रैल 2025

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।

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