नवरात्री का त्यौहार आया,
वैष्णो मैया ने हमको बुलाया ॥
माता जिनको बुलाए,
वही भक्त दर पे आए,
माता जिनको बुलाए,
वही भक्त दर पे आए,
ऊँचे पर्वत पे दरबार लगाया,
वैष्णो मैया ने हमको बुलाया ॥
वही लोग है निराले,
नाम जिसका माँ बुलाले,
भक्त वही है निराले,
नाम जिसका माँ बुलाले,
फल माँ की कृपा वही पाया,
वैष्णो मैया ने हमको बुलाया ॥
सारे कष्ट करे दूर,
मैया जग में मशहूर,
सारे कष्ट करे दूर,
मैया जग में मशहूर,
लिखके ‘देवेंद्र’ यही गाया,
वैष्णो मैया ने हमको बुलाया ॥
नवरात्री का त्यौहार आया,
वैष्णो मैया ने हमको बुलाया ॥
आदि लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं। मान्यता है कि आदि लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आदि लक्ष्मी को महालक्ष्मी भी कहा जाता है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं मां लक्ष्मी के कुल आठ स्वरूप हैं। वैसे तो दीपावली पर हम सभी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं लेकिन मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों में से प्रत्यक्ष स्वरूप को प्रसन्न करने हेतु मां लक्ष्मी के इन अष्ट स्वरूपों से संबंधित स्त्रोत का पाठ कर आप मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है।
धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है।