नवीनतम लेख
श्री राम जानकी कथा ज्ञान की
श्री रामायण का ज्ञान
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
जुग-जुग से हमने पलक बिछायी
तुम्हरी राह बुहारी
तब भाग जागे हैं आज हमारे
आई नाथ सवारी
हनुमान केसरी मात जानकी
सबके साथ बिराजो
लो द्वार खुले हैं आज हृदय के
सबके साथ बिराजो
लो द्वार खुले हैं, आज ह्रदय के
आओ राम विराजो
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
सुख लौटे सारे साथ तुम्हारे
मान हर्षे है रघुनंदन
ये चरण तुम्हारे छूके माटी
अवध की हो गयी चंदन
पग धोने को है, व्याकुल सरयू
कृपा करो अवतारी
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।