निर्धन कहे धनवान सुखी (Nirdhan Kahe Dhanwan Sukhi)

दीन कहे धनवान सुखी

धनवान कहे सुख राजा को भारी ।


राजा कहे महाराजा सुखी

महाराजा कहे सुख इंद्र को भारी ।


इंद्र कहे चतुरानन को सुख

ब्रह्मा कहे सुख विष्णु को भारी ।


तुलसीदास विचार कहे

हरि भजन विना सब जीव दुखारी ।


निर्धन कहे धनवान सुखी

धनवान कहे सुख राजा को भारी ।


राजा कहे चक्रवर्ती सुखी

चक्रवर्ती कहे सुख इन्द्र को भारी ।


इन्द्र कहे श्री राम सुखी

श्री राम कहे सुख संत को भारी ।


संत कहे संतोष में सुख है

बिनु संतोष सब दुनिया दुःखारी ।

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बैठ नजदीक तू मेरी माँ के, हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी (Baith Nazdik Tu Meri Maa Ke Har Kadi Dil Ki Judne Lagegi)

बैठ नजदीक तू मेरी माँ के,
हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी,

आरंभ कीजिए, प्रारंभ कीजिए (Aarambh Kijiye, Prarambh Kijiye)

आरंभ कीजिए, प्रारंभ कीजिए,
त्रैलोक्य पूज्य है राम नाम, शुभारंभ कीजिए,

आ गया फागुन मेला (Aa Gaya Falgun Mela)

आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,

ऐसी भक्ति महादेव दे दो हमें (Aisi Bhakti Mahadev De Do Hame)

ऐसी भक्ति हे शम्भू दे दो मुझे,
रात दिन मैं भजन तेरे गाता रहूं,

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