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नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी ॥
और क्या माँगू मैं तुमसे माता,
बस धूल चरण की चाहूँ,
पल पल याद करूँ मैं तुमको,
मैं हिरे रतन ना चाहूँ,
अब तक तेरा प्यार मिला है,
माँ हर मांग मिली मेरे मन की,
आगे भी तू रखना दया माँ,
तू मालिक है त्रिभुवन की,
नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी,
मुझे ना कुछ और चाहिए,
सदा ज्योत जगाऊँ मैया तेरी,
नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी,
मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
तेरा नाम ही तो मेरा माँ सहारा है,
सिवा तेरे मैया कोण हमारा है,
तेरे द्वार की मिले दरबानी,
मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी,
मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
बस प्यार मिले हमको तुम्हारा माँ,
छूटे शर्मा से ना तेरा द्वारा माँ,
तेरे चरणों में बीते जिंदगानी,
मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी,
मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
सदा ज्योत जगाऊँ मैया तेरी,
मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी,
मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
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