ओ हो, हो हो हो
हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण
ओ लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण
सिंदड़ी दा सेवण दा
सखी शाह बाज़ कलन्दर
दमादम मस्त कलन्दर
अली दम दम दे अन्दर
दमादम मस्त कलन्दर
अली दा पैला नम्बर
॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥
चार चराग़ तेरे बरण हमेशा॥ चार चराग़ तेरे...॥
पंजवा मैं बारण आई बला झूले लालण
हो पंजवा मैं
पंजवा मैं बारण आई बला झूले लालण
॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥
॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥
हिंद सिंद पीरा तेरी नौबत बाजे॥ हिंद सिंद पीरा तेरी...॥
नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालण
हो नाल बजे
नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालण
॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥
॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥
ओ हो
हर दम पीरा तेरी ख़ैर होवे॥ हर दम पीरा तेरी...॥
नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण
हो नाम-ए-अली
नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण
॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥
हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण
ओ लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण
सिंदड़ी दा सेवण दा
सखी शाह बाज़ कलन्दर
दमादम मस्त कलन्दर
अली दम दम दे अन्दर
दमादम मस्त कलन्दर
अली दा पैला नम्बर
नवरात्रि का समापन नवमी तिथि को होता है और अगले दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है। यह असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक त्योहार है।
दुर्गा पूजा पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इसका महत्व अलग ही होता है। यहां दुर्गापूजा केवल 09 दिनों का एक त्योहार नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर के उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
तमिलनाडु में नवरात्रि का त्योहार बेहद खास और अनोखे तरीके से मनाया जाता है जिसे 'गोलू' परंपरा के नाम से जाना जाता है। जहां एक तरफ उत्तर और पश्चिम भारत में नवरात्रि को डांडिया और दुर्गा पूजा से जोड़ा जाता है।
हिडम्बा देवी से लेकर मसरूर रॉक कट तक ये हैं हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर, पहाड़ी शैली के निर्माण में बनी है अद्भुत कलाकृति