ओ माँ पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥
दोहा – मेरा नहीं है कुछ भी,
सब कुछ तेरा किया है,
किरपा हुई है ऐसी,
बिन मांगे सब दिया है।
जैसा तू चाहे मैया,
वैसा मैं चलता जाऊं,
जिसमे हो तेरी महिमा,
ऐसे ही गीत गाऊं ॥
ओ माँ पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना,
सुन ले मेरा तराना,
सुन ले मेरा तराना,
ओ मां पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥
अपने हुए पराए,
दुश्मन हुआ जमाना,
अपने हुए पराए,
दुश्मन हुआ जमाना,
कष्टों से मेरी मैया,
तू ही मुझे बचाना,
ओ मां पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥
फूलों में तुझको ढूंढा,
कलियों में तुझको ढूंढा,
फूलों में तुझको ढूंढा,
कलियों में तुझको ढूंढा,
तू कहीं नजर ना आई,
ओ मां पहाड़ावालिये,
ओ मां पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥
“ओ मेरी शेरावाली मैया,
मेरी जोतावाली मैया,
मेरे साथ है, सर पे हाथ है,
मेरी दुर्गे मैया काली,
मेरी मेहरावाली मैया,
मेरे साथ है, सर पे हाथ है” ॥
सबकी सुने तू मैया,
राजा हो या फकीरा,
सबकी सुने तू मैया,
राजा हो या फकीरा,
‘बाबा’ की ये तमन्ना,
मेरा भी सुन तराना,
ओ मां पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥
ओ माँ पहाड़ावालियें,
सुन ले मेरा तराना,
सुन ले मेरा तराना,
सुन ले मेरा तराना,
ओ मां पहाड़ावालिये,
सुन ले मेरा तराना ॥
हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,
नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,
मैंने पाया नशा है,
मेरा बस तुझमे,
सनातन धर्म में अन्नपूर्णा जयंती का दिन मां अन्नपूर्णा को समर्पित किया है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन दान का भी बहुत महत्व होता है। इस दिन दान करना बेहद ही शुभ माना गया है। इस दिन दान पुण्य करने की मान्यता है।