ना मांगू मैं हीरे मोती,
ना मांगू मैं सोना चांदी,
मांगू तो बस तेरा साथ,
ओ मेरे बाबा भोलेनाथ,
ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥
उगता रहे यूँ ही सूरज तेरा,
तेरे बिना ना हो मेरा सवेरा,
तू ही तो है सब कुछ मेरा,
तेरे बिना नही कोई मेरा,
मुझे ले चल तू अपने साथ,
ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥
मार्कण्डेय के गले में पड़ा जब,
काल का पहरा,
भोले शंकर ने प्रकट होकर,
उस काल को घेरा,
नंदी को तूने मौत से बचाया,
मौत से बचाकर गण अपना बनाया,
रख मेरे भी सर पर भी हाथ,
ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥
कालो के काल शम्भू तुम हो विकराल,
कहती है दुनिया तुम्हे महाकाल,
तुम हो पिता मैं तुम्हारा हूँ लाल,
मिल जाओ मुझको हो जाए कमाल,
मेरे जीवन की नैया तेरे हाथ,
ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥
ना मांगू मैं हीरे मोती,
ना मांगू मैं सोना चांदी,
मांगू तो बस तेरा साथ,
ओ मेरे बाबा भोलेनाथ,
ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥
नरसिंह द्वादशी सनातनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने रौद्र रूप में अवतार लिया था, जिन्हें लोग आज नरसिंह भगवान के रूप में पूजते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है जो कि इस साल 10 मार्च 2025, फाल्गुन, शुक्ल द्वादशी को पड़ रहा है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह भगवान की पूजा करने की परंपरा है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की परंपरा है।