ओढ़ो जी ओढ़ो दादी,
म्हारी भी चुनरिया,
शान से ल्याया थारा,
टाबरिया थारा बालकिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
राचणी मेहंदी थारे,
हाथां में लगावा,
गजरो बनावा थारे,
जुड़े में सजावा,
फूल मंगाया बढ़िया बढ़िया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
दादी जी आओ थारे,
भोग लगावा,
हलवा पूड़ी मेवा का,
थाल सजावा,
खीर बनवाई दादी केसरिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
चुनड़ी ओढ़ाया म्हारो,
मान बढ़ेगो,
और भी थारो,
सिणगार खिलेगो,
‘सोनू’ सरावेगी या सारी दुनिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
ओढ़ो जी ओढ़ो दादी,
म्हारी भी चुनरिया,
शान से ल्याया थारा,
टाबरिया थारा बालकिया,
ओढो म्हारी भी चुनरिया,
ओढो जी ओढो दादी,
म्हारी भी चुनरिया ॥
तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
टूटी झोपड़िया मेरी माँ,
गरीब घर आ जाना ।
उंचिया पहाड़ा वाली माँ,
हो अम्बे रानी,
उड़ उड़ जा रे पंछी,
मैया से कहियो रे,