ओम अनेक बार बोल, प्रेम के प्रयोगी।
है यही अनादि नाद, निर्विकल्प निर्विवाद।
भूलते न पूज्यपाद, वीतराग योगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
वेद को प्रमाण मान, अर्थ-योजना बखान।
गा रहे गुणी सुजान, साधु स्वर्गभोगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
ध्यान में धरें विरक्त, भाव से भजें सुभक्त,
त्यागते अघी अशक्त, पोच पाप-रोगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
शंकरादि नित्य नाम, जो जपे विसार काम,
तो बने विवेक धाम, मुक्ति क्यों न होगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
- नाथूराम शर्मा 'शंकर'
कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है। जनवरी 2025 से संगम नगरी प्रयागराज में मेले की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे अद्वितीय नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं।
हिंदू धर्म में साधु-संतों का बहुत महत्व होता है। यह आम लोगों को आध्यात्मिक पथ पर चलने के लिए मार्गदर्शन देते हैं। साधु -संत भी कई प्रकार के होते हैं। अघोरी और नाग साधु उन्हीं का एक प्रकार है।
कुंभ मेले की शुरुआत अगले साल 13 जनवरी से प्रयागराज में हो रही है। इसके लिए तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा समागम है, जो पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचता है।
महाभारत के भीषण युद्ध में कई महान योद्धाओं ने अपने प्राण गवाए, लेकिन एक ऐसा योद्धा था जिसे आज भी जीवित माना जाता है। वह गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर के आशीर्वाद से अश्वत्थामा को अमरता का वरदान प्राप्त था।