ओम अनेक बार बोल (Om Anek Bar Bol Prem Ke Prayogi)

ओम अनेक बार बोल, प्रेम के प्रयोगी।

है यही अनादि नाद, निर्विकल्प निर्विवाद।

भूलते न पूज्यपाद, वीतराग योगी।

॥ ओम अनेक बार बोल..॥


वेद को प्रमाण मान, अर्थ-योजना बखान।

गा रहे गुणी सुजान, साधु स्वर्गभोगी।

॥ ओम अनेक बार बोल..॥


ध्यान में धरें विरक्त, भाव से भजें सुभक्त,

त्यागते अघी अशक्त, पोच पाप-रोगी।

॥ ओम अनेक बार बोल..॥


शंकरादि नित्य नाम, जो जपे विसार काम,

तो बने विवेक धाम, मुक्ति क्यों न होगी।

॥ ओम अनेक बार बोल..॥

- नाथूराम शर्मा 'शंकर'


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उत्पन्ना एकादशी के जाप मंत्र

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए समर्पित है।

पकड़ लो बाँह रघुराई, नहीं तो डूब जाएँगे - भजन (Pakadlo Bah Raghurai, Nahi Too Doob Jayenge)

पकड़ लो बाँह रघुराई,
नहीं तो डूब जाएँगे ।

न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ: कामना (Na Dhan Dharti Na Dhan Chahata Hun: Kamana)

न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥

दया करो हे दयालु गणपति (Daya Karo Hey Dayalu Ganpati)

शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,

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