ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
सूंड सूंडालो नयन विशालो,
कुण्डल झलकंता,
प्रभु कुण्डल झलकंता,
कुमकुम केसर चन्दन,
कुमकुम केसर चन्दन,
सिंदूर बदन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
मुकुट सुगढ़ सोहंता,
मस्तक सोहंता,
प्रभु मस्तक सोहंता,
बईया बाजूबन्दा,
बईया बाजूबन्दा,
ओंची निरखंता,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
मूषक वाहन राजत,
शिव सूत आनंदा,
प्रभु शिव सूत आनंदा,
कहत शिवानन्द स्वामी,
जपत शिवानन्द स्वामी,
मिटत भव फंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
ओम जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
प्रयागराज हिंदू धर्म के सबसे तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यहां माघ महीने में कल्पवास करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस बार माघ माह महाकुंभ के दौरान पड़ रहा है।
हिंदू धर्म में हल्दी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हल्दी के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में हल्दी का संबंध देवगुरु बृहस्पति से बताया गया है। इतना ही नहीं किसी भी पूजा-पाठ में हल्दी सबसे महत्वपूर्ण सामग्री मानी जाती है।
प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी।
हिंदू धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है। यह एक पवित्र मिश्रण है जिसे पूजा-पाठ में और विशेष अवसरों पर भगवान को अर्पित किया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं। इन पांच पवित्र पदार्थों को मिलाकर बनाया गया पंचामृत भगवान को प्रसन्न करने और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।