ऊँचे ऊँचे वादी में
बसते हैं भोले शंकर
ऊँचे ऊँचे वादी में
बसते हैं भोले शंकर
कैसी ये लगी मुझको तेरी लगन
गाऊँ और झूमूँ होके तुझमे मगन
शंभू!
ऊँची ऊँची वादी में
बसते हैं भोले शंकर
ऊँची ऊँची वादी में
बसते हैं भोले शंकर
भोले भोले शंकर भोले भोले
भोले भोले शंकर भोले
रुद्र रूपा महादेवा
त्रिकाल दर्शी शंकरा
रुद्र रूपा महादेवा
त्रिकाल दर्शी शंकरा शंकरा
हर हर शंभू कहाँ नहीं तू
मेरे शंभू
तू ब्रह्मा तू विष्णु
हर घर हर मन शंभू
इक छोटे रुद्राक्ष में
बड़े पहाड़ में शंभू
बारिक धागे में दिखता
गहरी नदी में शंभू
अलख निरंजन मेरे दिगंबर
बांध ले अपने बंधन में
शिव तेरा ध्यान अगर भूल जाऊं
तो मैं मर जाऊं
प्यार से तेरे सबका जीवन चले
खुशियाँ तू देवे सबके कष्ट हरे
ऊँची ऊँची वादी में
बसते हैं भोले शंकर
भोले भोले शंकर भोले
ऊँची ऊँची वादी में
बसते हैं भोले शंकर
शंभू!
पर्वत पे बैठा मेरा भोला शंकर
मैं उसका दीवाना
भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना
भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना
झूठी ये दुनिया सारी झूठा ये जमाना
भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना
भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना
कैसी ये लगी मुझको तेरी लगन
गाऊँ और झूमूँ होके तुझमे मगन
शंभू!
ऊँची ऊँची वादी में
बसते हैं भोले शंकर
ऊँची ऊँची वादी में
बसते हैं भोले शंकर
भोले भोले शंकर भोले भोले
भोले भोले शंकर भोले
रुद्र रूपा महादेवा
त्रिकाल दर्शि शंकरा
रुद्र रूपा महादेवा
त्रिकाल दर्शि शंकरा शंकरा
भोले भोले शंकर भोले
हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।
शिव और पार्वती की प्रेम कहानी एक अनोखी और प्यारी कहानी है, जो हमें रिश्तों के मायने सिखाती है। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते को कैसे बनाए रखा जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व शिव और पार्वती के प्रेम की याद दिलाता है।
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