पार होगा वही,
जिसे पकड़ोगे राम,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा ॥
तिरना क्या जाने,
पत्थर बेचारे,
तिरने लगे तेरे,
नाम के सहारे,
नाम लिखते आ गए है,
पत्थर में प्राण,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा।
पार होगा वहीँ,
जिसे पकड़ोगे राम,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा ॥
लंका जलाई,
लांघा समुन्दर,
राक्छस को मार आया,
छोटा सा बन्दर,
बस जपता रहा,
दिन रात तेरा नाम,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएग ॥
पार होगा वहीँ,
जिसे पकड़ोगे राम,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा ॥
सुनकर के बाते,
मुस्काए राम जी,
मारे ख़ुशी के नाचे,
हनुमान जी,
भक्त देखा ना,
बनवारी तेरे समान,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा ॥
पार होगा वहीँ,
जिसे पकड़ोगे राम,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा ॥
पार होगा वही,
जिसे पकड़ोगे राम,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा,
जिसको छोड़ोगे,
पलभर में डूब जाएगा ॥
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ का महीना 11वां होता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत का विशेष महत्व होता है। इनमें मौनी अमावस्या भी शामिल है। माघ माघ की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस दिन को हर महीने मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम है। सनातन धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।
मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित विशेष पर्व है, जो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।