पहले ध्यान श्री गणेश का,
मोदक भोग लगाओ,
भक्ति मन से कर लो भक्तो,
भक्ति मन से कर लो भक्तो,
गणपति के गुण गाओ,
पहले ध्यान श्रीं गणेश का ॥
द्वार द्वार घर आसन सब पर,
शुभ प्रभु की है प्रतिमा,
देवो में जो देव पूज्य है,
गणपति की है गरिमा,
मंगल अति सुमंगल है जो,
मंगल अति सुमंगल है जो,
उनको नयन बसाओ,
पहले ध्यान श्रीं गणेश का ॥
आरती स्तुति भजन प्रार्थना,
शंख नाद भी गूंजे,
मंगल जल दर्शन से गणपति,
तन मन सबका भीजे,
सब भक्तो का मंगल कर दो,
सब भक्तो का मंगल कर दो,
मन सब का हरषाओ,
पहले ध्यान श्रीं गणेश का ॥
सब त्यौहार उन्ही से शुभ है,
गणपति का त्यौहारा,
मूषक वाहन श्री गणेश का,
ऐसा देव हमारा,
कीर्तन भजन ‘नारायण’ करते,
कीर्तन भजन ‘नारायण’ करते,
उत्सव आज मनाओ,
पहले ध्यान श्रीं गणेश का ॥
पहले ध्यान श्री गणेश का,
मोदक भोग लगाओ,
भक्ति मन से कर लो भक्तो,
भक्ति मन से कर लो भक्तो,
गणपति के गुण गाओ,
पहले ध्यान श्रीं गणेश का ॥
“धनतेरस”, पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन को धनत्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है।
छठ पूजा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही उत्साह, उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रमुख लोकपर्व है। इस पर्व की खासियत है कि इसमें किसी पुरोहित या पंडित की आवश्यकता भी नहीं होती।
भाई दूज भारतीय परंपराओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाती हैं। लेकिन बिहार और कुछ अन्य क्षेत्रों में इस पर्व को मनाने की विधि बेहद अलग और अनोखी है।