फूल भी न माँगती, हार भी न माँगती (Phool Bhi Na Mangti Haar Bhi Na Mangti)

फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी,

बोलो जय माता दी,

जय माता दी भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


ऊँचे ऊँचे पर्वतो पे,

डेरा मेरी माई का,

जग है दीवाना है,

सारा जग की सहाई का,

चढ़ावे को ना माँगती,

दिखावे को ना माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


मेरी महामाया की तो,

माया ही निराली है,

बिना मांगे दे दे वो तो,

ऐसी महामाई है,

पूजा भी ना माँगती,

पाठ भी ना माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


प्रेम से बुलाओ तो वो,

दौड़ी चली आती है,

पल में ही मेहरा वाली,

बिगड़ी बनाती है,

फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी,

बोलो जय माता दी,

जय माता दी भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥

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मासिक शिवरात्रि पर शिव चालीसा पाठ

हिंदू पंचाग में प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी 14वें दिन मासिक शिवरात्रि के मनाई जाती है। इस विशेष दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है।

म्हारा घट मा बिराजता श्रीनाथजी (Mara Ghat Ma Birajta Shrinathji)

म्हारा घट मा बिराजता,
श्रीनाथजी यमुनाजी महाप्रभुजी,

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू (Bhole Baba Ne Yuhi Bajaya Damru)

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥

ये उत्सव बजरंग बाले का, ये लाल लंगोटे वाले का (Ye Utsav Bajrang Bala Ka Ye Lal Langote Wale Ka)

ये उत्सव बजरंग बाले का,
ये लाल लंगोटे वाले का,

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