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फूल भी न माँगती, हार भी न माँगती (Phool Bhi Na Mangti Haar Bhi Na Mangti)

फूल भी न माँगती, हार भी न माँगती (Phool Bhi Na Mangti Haar Bhi Na Mangti)

फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी,

बोलो जय माता दी,

जय माता दी भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


ऊँचे ऊँचे पर्वतो पे,

डेरा मेरी माई का,

जग है दीवाना है,

सारा जग की सहाई का,

चढ़ावे को ना माँगती,

दिखावे को ना माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


मेरी महामाया की तो,

माया ही निराली है,

बिना मांगे दे दे वो तो,

ऐसी महामाई है,

पूजा भी ना माँगती,

पाठ भी ना माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


प्रेम से बुलाओ तो वो,

दौड़ी चली आती है,

पल में ही मेहरा वाली,

बिगड़ी बनाती है,

फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥


फूल भी न माँगती,

हार भी न माँगती,

माँ तो बस भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी,

बोलो जय माता दी,

जय माता दी भक्तो का,

प्यार माँगती,

बोलो जय माता दी ॥


जय जगदम्बे, जय जगदम्बे,

जय जगदम्बे, जय जगदम्बे ॥

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कल्पवास की पौराणिक कथाएं

प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां पूरी कर ली गई है। 12 जनवरी से इसकी शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग कल्पवास के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे और माघ का महीना गंगा किनारे बिताएंगे।

क्या महिलाएं कर सकती हैं कल्पवास

हिंदू धर्म में कल्पवास की परंपरा मोक्ष और शांति का साधन है। यह माघ महीने में गंगा, यमुना , सरस्वती के संगम पर संयमित जीवन जीने की परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है।

भगवान को भोग क्यों लगाया जाता है?

सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान या फिर भोजन करने से पहले भगवान को भोग लगाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि भगवान को दिल से जो भी खिलाया जाए, तो वह उतने ही प्यार से उसे ग्रहण करते हैं।

शादी में क्यों लगाई जाती है हल्दी

विवाह को हिन्दू धर्म में पवित्र और अटूट बंधन माना गया है। विवाह के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण रस्म हल्दी की होती है।

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