नवीनतम लेख
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
गोकुल में छुप छुप के माखन चुरायो,
ग्वाल वाल संग मिल बाँट के खायो ।
दर्शन की प्यासी ये राधा वेचारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
दिन सारा घूम बिन दामन भटको,
मुझसे दूर दूर रह तुम छतक्यों ।
अच्छी लगी तुम को ये ग्वालिन की गाड़ी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
कान्हा तेरे बोले से मधु कप क्त है,
संवारी सूरतियाँ से रस बरसत है ।
श्याम का है देते मेरी सुध विसारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।