प्रभु राम का बनके दीवाना (Prabhu Ram Ka Banke Deewana)

प्रभु राम का बनके दीवाना,

छमाछम नाचे वीर हनुमाना,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है ॥


राम के सिवा नहीं सूझे,

कोई दूजा नाम,

राम जी की धुन में,

रहता है ये आठों याम,

चुटकी बजाए,

खड़ताल बजाता है,

मुख से ये राम हरे,

राम गुण गाता है,

जग से ये होके बेगाना,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है ॥


हाथ में सोटा लाल लंगोटा,

पहना है,

सिंदूरी तन वाले तेरा क्या,

कहना है,

राम सिया राम नाम,

ओढ़ के चुनरिया,

नाच रहा मस्ती में,

अवध नगरीया,

भूल गया बाला शर्माना,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है ॥


राम चरण की धूलि,

माथे लगाई है,

मन में छवि श्री राम,

सिया की बसाई है,

राम जी के सेवक है,

बजरंग प्यारे जो,

अपना समय,

राम सेवा में गुजारे वो,

‘कुंदन’ करे ना बहाना,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है ॥


प्रभु राम का बनके दीवाना,

छमाछम नाचे वीर हनुमाना,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है,

के राम सियाराम जपता है,

मस्त मगन रहता है ॥

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फाल्गुन कृष्ण विजया नाम एकादशी व्रत (Phalgun Krishna Vijaya Naam Ekaadashi Vrat)

इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने फिर भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा कि अब आप कृपाकर फाल्गुन कृष्ण एकादशी का नाम, व्रत का विधान और माहात्म्य एवं पुण्य फल का वर्णन कीजिये मेरी सुनने की बड़ी इच्छा है।

दानी बड़ा ये भोलेनाथ, पूरी करे मन की मुराद (Dani Bada Ye Bholenath Puri Kare Man Ki Murad)

दानी बड़ा ये भोलेनाथ,
पूरी करे मन की मुराद,

वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा

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श्री कृष्ण चालीसा

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। उनका जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।

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