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प्रभु राम का सुमिरन कर (Prabhu Ram Ka Sumiran Kar)

प्रभु राम का सुमिरन कर (Prabhu Ram Ka Sumiran Kar)

प्रभु राम का सुमिरन कर,

हर दुःख मिट जाएगा,

यही राम नाम तुझको,

भव पार लगाएगा ॥


मिथ्या जग में कबसे,

तू पगले रहा है डोल,

तू इनकी शरण आकर,

हाथों को जोड़ के बोल,

ये दास तुम्हारा अब,

कहीं और ना जाएगा,

यही राम नाम तुझको,

भव पार लगाएगा ॥


कैसा भी समय आए,

कैसी भी घड़ी आए,

सच्चे ह्रदय से जो,

सुमिरन इनका गाए,

हर विपदा में उसका,

ये साथ निभाएगा,

यही राम नाम तुझको,

भव पार लगाएगा ॥


कब जाने ढल जाए,

दो पल का है जीवन,

प्रभु राम के चरणों में,

कर दे तू कुछ अर्पण,

तेरे साथ में बस केवल,

यही नाम ही जाएगा,

यही राम नाम तुझको,

भव पार लगाएगा ॥


प्रभु राम का सुमिरन कर,

हर दुःख मिट जाएगा,

यही राम नाम तुझको,

भव पार लगाएगा ॥

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श्री राम स्तुति: नमामि भक्त वत्सलं (Namami Bhakt Vatsalan)

नमामि भक्त वत्सलं ।
कृपालु शील कोमलं ॥

नमामि-नमामि अवध के दुलारे(Namami Namami Awadh Ke Dulare)

नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
खड़ा हाथ बांधे मैं दर पर तुम्हारे ॥

कार्तिगाई दीपम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।

नमामी राधे नमामी कृष्णम(Namami Radhe Namami Krishnam)

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,

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