नवीनतम लेख
सुख-वरण प्रभु, नारायण हे!
दु:ख-हरण प्रभु, नारायण हे!
तिरलोकपति, दाता, सुखधाम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
मन वाणी में वो शक्ति कहाँ जो,
महिमा तुम्हरी गान करें,
अगम अगोचर अविकारी,
निर्लेप हो, हर शक्ति से परे,
हम और तो कुछ भी जाने ना,
केवल गाते हैं, पावन नाम ,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
आदि मध्य और अन्त तुम्ही,
और तुम ही आत्म अधारे हो,
भगतों के तुम प्राण प्रभु,
इस जीवन के रखवारे हो,
तुम में जीवें, जनमें तुममें,
और अन्त करें तुम में विश्राम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
चरन कमल का ध्यान धरूँ,
और प्राण करें सुमिरन तेरा,
दीनाश्रय दीनानाथ प्रभु,
भव बंधन काटो हरि मेरा,
शरणागत के (घन)श्याम हरि,
हे नाथ, मुझे तुम लेना थाम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।