सुख-वरण प्रभु, नारायण हे!
दु:ख-हरण प्रभु, नारायण हे!
तिरलोकपति, दाता, सुखधाम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
मन वाणी में वो शक्ति कहाँ जो,
महिमा तुम्हरी गान करें,
अगम अगोचर अविकारी,
निर्लेप हो, हर शक्ति से परे,
हम और तो कुछ भी जाने ना,
केवल गाते हैं, पावन नाम ,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
आदि मध्य और अन्त तुम्ही,
और तुम ही आत्म अधारे हो,
भगतों के तुम प्राण प्रभु,
इस जीवन के रखवारे हो,
तुम में जीवें, जनमें तुममें,
और अन्त करें तुम में विश्राम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
चरन कमल का ध्यान धरूँ,
और प्राण करें सुमिरन तेरा,
दीनाश्रय दीनानाथ प्रभु,
भव बंधन काटो हरि मेरा,
शरणागत के (घन)श्याम हरि,
हे नाथ, मुझे तुम लेना थाम,
स्वीकारो मेरे परनाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु!...
हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।
सौभाग्य सुंदरी तीज उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष के तृतीया को मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला उत्पन्ना एकादशी का पर्व भगवान विष्णु और देवी एकादशी की आराधना का विशेष दिन है।
उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा मां एकादशी के जन्म से संबंधित है। इसमें ये बताया गया है कि उन्होंने भगवान विष्णु को एक राक्षस से कैसे बचाया। दरअसल सतयुग में एक मुरा नाम का एक राक्षस था।