प्रभुजी मोरे/मेरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक लोहा पूजा मे राखत,
एक घर बधिक परो ।
सो दुविधा पारस नहीं देखत,
कंचन करत खरो ॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक नदिया एक नाल कहावत,
मैलो नीर भरो ।
जब मिलिके दोऊ एक बरन भये,
सुरसरी नाम परो॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक माया एक ब्रह्म कहावत,
सुर श्याम झगरो ।
अब की बेर मुझे पार उतारो,
नही पन जात तरो ॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
मां ललिता, जिन्हें त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। वे शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं और ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
मां चंडी जो विशेष रूप से शक्ति, दुर्गा और पार्वती के रूप में पूजी जाती हैं। उनका रूप रौद्र और उग्र होता है, और वे शत्रुओं का नाश करने वाली, बुराई का विनाश करने वाली और संसार को शांति देने वाली देवी के रूप में पूजा जाती हैं।
मां काली को शक्ति, विनाश और परिवर्तन की प्रतीक हैं। उन्हें दुर्गा का एक रूप माना जाता है और वे दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां काली का रूप उग्र और भयानक है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए सुरक्षा प्रदान करती हैं।
मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से प्रथम है। मत्स्य का अर्थ है मछली। इस अवतार में भगवान विष्णु ने मछली के रूप में आकर पृथ्वी को प्रलय से बचाया था।