प्रभुजी मोरे/मेरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक लोहा पूजा मे राखत,
एक घर बधिक परो ।
सो दुविधा पारस नहीं देखत,
कंचन करत खरो ॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक नदिया एक नाल कहावत,
मैलो नीर भरो ।
जब मिलिके दोऊ एक बरन भये,
सुरसरी नाम परो॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक माया एक ब्रह्म कहावत,
सुर श्याम झगरो ।
अब की बेर मुझे पार उतारो,
नही पन जात तरो ॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
तुलसा कर आई चारों धाम,
जाने कहां लेगी विश्राम ।
नाम ना जाने, धाम ना जाने
जाने ना सेवा पूजा
तुम भी बोलो गणपति,
और हम भी बोले गणपति ॥
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्