प्राणो से भी प्यारा,
दादी धाम तुम्हारा,
दर्शन कर हो जाता,
ये जीवन सफल हमारा,
तूने सबको तारा,
सबका जीवन संवारा,
तेरे बिन कौन दादी,
हम भक्तों का सहारा ॥
अटके कभी जो नैया,
बने तू खिवैया,
कष्ट सभी के काटे,
मेरी मैया,
अंधियारे जीवन का,
माँ तुम ही हो उजियारा,
दर्शन कर हो जाता,
ये जीवन सफल हमारा ॥
आंसुओ को मेरे अपने,
आँचल से पोंछे,
ममता लूटाकर मैया,
हाल मेरा पूछे,
नित उठ दादी ध्याऊँ,
मैं एक नाम तुम्हारा,
दर्शन कर हो जाता,
ये जीवन सफल हमारा ॥
प्राणो से भी प्यारा,
दादी धाम तुम्हारा,
दर्शन कर हो जाता,
ये जीवन सफल हमारा,
तूने सबको तारा,
सबका जीवन संवारा,
तेरे बिन कौन दादी,
हम भक्तों का सहारा ॥
वक्रतुंड भैरव के दर्शन का एकमात्र स्थान, तीन नदियों के संगम पर स्थित है माता का यह शक्तिपीठ
ऐसी शक्तिपीठ जहां बिना मूर्ति के होती है देवी की पूजा, मंदिर में मौजूद है मन्नत पूरी करने वाला कल्पवृक्ष
महाभारत काल से है इस मंदिर में घोड़े का दान करने की परंपरा, स्थानु महादेव की होती है पूजा
यहां दर्शन करने से गौ हत्या के पाप से भी मिल जाती है मुक्ति, गौतम ऋषि के श्राप से जुड़ी मंदिर की कहानी