जो रिद्धि सिद्धि दाता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूँ,
जो रिद्धि सिद्धि दाता है ॥
मेरी अरदास सुन देवा,
तू मूषक चढ़ के आ जाना,
सभा के मध्य आकर के,
हमारी लाज रख जाना,
हमारी लाज रख जाना,
करूँ विनती मैं झुक उनकी,
माँ गौरी जिनकी माता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूं,
जो रिद्धि सिद्धि दाता है ॥
क्रिया ना मन्त्र मैं जानू,
शरण में तेरी आया हूँ,
मेरी बिगड़ी बना देना,
चढाने कुछ ना लाया हूँ,
चढाने कुछ ना लाया हूँ,
करूँ कर जोड़ नम नम के,
जो मुक्ति के प्रदाता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूं,
जो रिद्धि सिद्धि दाता है ॥
सुनो शंकर सुवन मुझको,
अबुद्धि ज्ञान दे जाओ,
अँधेरे में भटकते को,
धर्म की राह दिखलाओ,
धर्म की राह दिखलाओ,
‘अनिल’ विनती करे उनकी,
विनायक जो कहाता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूं,
जो रिद्धि सिद्धि दाता है ॥
जो रिद्धि सिद्धि दाता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूँ,
जो रिद्धि सिद्धि दाता है ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या वैशाख मास की अंतिम तिथि है, जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिन पितरों की शांति, पितृ दोष के निवारण, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए बेहद लाभदायक तिथि माना जाता है।
हिंदू धर्म में वैशाख माह की अमावस्या तिथि विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ होता है।
मई का महीना व्रत और त्योहारों को लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहेगा। इस महीने में गंगा सप्तमी, बगलामुखी जयंती, बुद्ध पूर्णिमा जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। साथ ही ग्रहों की चाल में भी परिवर्तन होने वाला है। आइए इस लेख में मई महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मई के महीने में प्रकृति अपने चरम पर होती है। पेड़-पौधों पर नए पत्ते आते हैं, फूल खिलते हैं और हर तरफ हरियाली दिखाई देती है। यह समय प्रकृति की सुंदरता को निहारने और उसकी सुंदरता का आनंद लेने का है।