प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,
प्रभु का नियम बदलते देखा ।
अपना मान भले टल जाए,
भक्त का मान न टलते देखा ॥
जिनकी केवल कृपा दृष्टी से,
सकल विश्व को पलते देखा ।
उसको गोकुल के माखन पर,
सौ-सौ बार मचलते देखा ॥
जिनका ध्यान बिरंची शम्भू,
सनकादिक न सँभालते देखा ।
उसको बाल सखा मंडल में,
लेकर गेंद उछालते देखा ॥
जिनके चरण कमल कमला के,
करतल से ना निकलते देखा ।
उसको गोकुल की गलियों में,
कंटक पथ पर चलते देखा ॥
जिनकी वक्र भृकुटी के भय से,
सागर सप्त उबलते देखा ।
उसको माँ यशोदा के भय से,
अश्रु बिंदु दृग ढलते देखा ॥
प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,
प्रभु का नियम बदलते देखा ।
अपना मान भले टल जाए,
भक्त का मान न टलते देखा ॥
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दश अवतारों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इन दस अवतारों में चौथा अवतार नरसिंह अवतार है, जो भक्त और भगवान के बीच की अटूट आस्था और प्रेम का प्रतीक है।
नरसिंह जयंती, भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह के प्रकट होने की तिथि है, जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे और दैत्यराज हिरण्यकश्यप का वध किया था।
नरसिंह जयंती भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह भगवान के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।
नरसिंह जयंती हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह अवतार के प्रकट होने की स्मृति में मनाया जाता है।