रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥
राधा सोच करे मन माहीं,
कोई बिलमायों,
कुण जाने, कितगयो सांवरो,
अब तक नहीं आयों ॥
रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥
इतने में तो बाजी बांसुरी,
मधुबन धरणायो,
डाल-डाल और पात-पात पर,
श्याम नजर आयों ॥
रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥
कोई ल्यायो लाल मंजीरा,
कोई डफ ल्यायों,
दे दे ताली नाची रे,
राधिका ऐसो रंग छायो ॥
रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥
जो सुख को ब्रह्मा शिव तरसे,
गोपी जन पायो,
गोपी मण्डल ऊग्यारे चन्द्रमा,
वो भी शरमायो ॥
रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,
सखियाँ जोवे बाँट,
साँवरो अब तक नहीं आयो
रास कुंजन में ठहरायो ॥
देवी मढ़ देसाण री,
मेह दुलारी माय ।
कोई देवता नही है,
भोले नाथ की तरह,
करने वंदन चरणों में बजरंगी,
दर पे हम तेरे रोज आएंगे,
कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,