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राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर( RadhaKrishn Prana Mora Yugal Kishor)

राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर( RadhaKrishn Prana Mora Yugal Kishor)

राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर ।

जीवने मरणे गति आर नाहि मोर ॥


कालिन्दीर कूले केलि-कदम्बेर वन ।

रतन वेदीर उपर बसाब दुजन ॥


श्याम गौरी अंगे दिब चन्दनेर गन्ध ।

चामर ढुलाब कबे हेरिब मुखचन्द्र ॥


गाँथिया मालतीर माला दिब दोंहार गले ।

अधरे तुलिया दिब कर्पूर ताम्बूले ॥


ललिता विशाखा आदि यत सखीवृन्द ।

आज्ञाय करिब सेवा चरणारविन्द ॥


श्रीकृष्णचैतन्य प्रभुर दासेर अनुदास ।

सेवा अभिलाष करे नरोत्तमदास ॥

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नवरात्रि पर जानिए देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध की कथा

नवरात्रि के दिनों में हमने देखा है कि जहां भी मां दुर्गा की पूजा होती है। वहां माता की मूर्ति के साथ उस परम शक्तिशाली असुर महिषासुर की भी प्रतिमा माता के साथ होती है।

चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना कब करें

जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, जीवन में व्याप्त सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना से होती है।

चैत्र नवरात्रि पर पढ़ें मां दुर्गा की उत्पत्ति की कथा

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025, रविवार से शुरू होगी। जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना की जाती है, जो 9 दिनों तक चलेंगे। बता दें कि देवी दुर्गा को शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2025 के नियम

चैत्र नवरात्रि का पर्व भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है, जिसमें भक्तजन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।

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