राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
कहाँ तेरा ससुराल तुलसा,
कौन तेरे भरतार ।
राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
नीलगगन हैं पिता हमारे,
भागीरथी हैं मात ।
वृंदावन ससुराल हमारी,
सांवरिया भरतार ।
राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
बलदाऊ हैं जेठ हमारे,
मात यशोदा सास ।
नंद बाबा हैं ससुर हमारे,
ननद सुभद्रा मात ।
राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
तुम तो राधे बगल विराजे,
सुबह सींचे सब नार ।
मेरे बिना हरि भावे ना भोग,
मेरी पड़े दरकार ।
राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
हर की में पटरानी कुहाऊँ,
हरी मेरे धन भाग ।
यही है बहना परिचय मेरा,
हरी है मेरे सुहाग ।
राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।
कब से लागल आस पुराइल,
सब जन के मनवा हरसाइल
दो अक्षर वाला नाम,
आये बड़ा काम जी,
राम रस बरस्यो री,
आज म्हारे आंगन में ।
राम से बड़ा राम का नाम,
जो सुमिरे भव पार हो जाए,