ओ जाने वाले रघुवीर को,
प्रणाम हमारा कह देना
प्रणाम हमारा कह देना,
सीताराम हमारा कह देना ॥
श्री राम की माता कौशल्या,
और दशरथ धीरज धारी को,
श्री भरत की माता केकयी को,
प्रणाम हमारा कह देना ॥
श्री भरत शत्रुघ्न भैया को,
और छोटी मात सुमित्रा को,
श्री सीता जनक दुलारी को,
प्रणाम हमारा कह देना ॥
श्री हनुमान बल सुग्रीव को,
और सारी अंगद सेना को,
श्री पूरी अयोध्या नगरी को,
प्रणाम हमारा कह देना ॥
श्री राम चंद्र अवतारी को,
और लक्ष्मण धनुवा धारी को,
श्री लवकुश आज्ञाकारी को,
प्रणाम हमारा कह देना ॥
श्री बल्मीकि रामायण को,
और चारो वेद पुराणों को,
श्री गीता मात कल्याणी को,
प्रणाम हमारा कह देना ॥
प्रयागराज में 13 जनवरी से जोर शोर से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। यहां, साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी क्रम में महाकुंभ में बवंडर बाबा भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ में इस वक्त कल्पवासी, कल्पवास कर रहे हैं। कुंभ में हजारों-लाखों लोग कल्पवास व्रत रखते हैं। कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पर्व के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले समझें कि कल्पवास का अर्थ क्या होता है।
प्रयागराज में 12 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े हैं। यह महान धार्मिक आयोजन, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक रहा है, विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम माना जाता है।
प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन शुरू हो चुका है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जहां देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।