राहों में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
जब राम मेरे घर आएंगे,
सियाराम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
मैं चुन चुन कलियाँ लाऊंगी,
हाथों से हार बनाऊँगी,
मैं उनको हार पहनाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
मैं चन्दन चौकी बिछाऊँगी,
फूलों से उसे सजाऊंगी,
मैं प्रेम से उन्हें बिठाउंगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
मैं छप्पन भोग बनाउंगी,
हाथों से उन्हें खिलाऊंगी,
मैं प्रेम से उन्हें खिलाऊंगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
मैं रो रो उन्हें मनाऊंगी,
गा गा कर उन्हें सुनाऊँगी,
मैं अपना हाल बताउंगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
मैं फूलों की सेज बिछाऊँगी,
झालर का तकिया लगाउंगी,
मैं उनके चरण दबाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
राहों में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,
जब राम मेरे घर आएंगे,
सियाराम मेरे घर आएंगे,
राहो में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे ॥
हिन्दू धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश का एक महत्वपूर्ण पर्व होता है, जिसे भक्त भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति और सभी विघ्नों के नाश के लिए करते हैं।
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते है तथा उपवास रखते है। ऐसा कहा जाता है की यह व्रत करने से जीवन की बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
संकष्टी चतुर्थी को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, लेकिन विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी अधिक होता है।