जीवन का निष्कर्ष यही है,
प्रभु प्रेम में लग जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना ॥
राम कथा की पावन गंगा,
अविरल बहती जाए,
प्रेम भाव की शीतल लहरें,
भीतर तक लहराए,
कुछ बातें है सुनने लायक,
कुछ बातें गुनकर जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना ॥
उत्तम बने विचार यही,
मतलब है रामकथा का,
औरों की पीड़ा का हो,
मन में आभास व्यथा का,
कुल परिवार ओढ़ ले प्यारे,
वो चादर बुनकर जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना ॥
तुलसीदास भगीरथ बनकर,
तप जप किए अभंगा,
तब जाकर मानस से निकली,
पाप नाशनी गंगा,
रामकथा गंगा में ‘राजन’,
तिरते तिरते तर जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना ॥
जीवन का निष्कर्ष यही है,
प्रभु प्रेम में लग जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना,
आओ सब मिल बैठो प्यारे,
राम कथा सुनकर जाना ॥
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। कुछ जगह मान्यता है कि होलिका में राक्षस हिरण्यकश्युप की बहन होलिका जल गईं थीं इसलिए ये अशुभता का प्रतीक है।
होली का त्योहार प्रेम, एकता और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है और कई आध्यात्मिक कहानियों से जुड़ा हुआ है।
होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व रंगों, खुशियों और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है।
होली का त्योहार जितना रंगों और उमंग से भरा होता है, उतनी ही महत्वपूर्ण इससे जुड़ी धार्मिक परंपराएं भी हैं। होलिका दहन एक पौराणिक परंपरा है, जो बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है।