आज बड़ा ही शुभ दिन,
मंगलाचार सुनाओ रे,
राम लला जन्मे है,
थाल बजाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
दशरथ के अंगना में भाई,
गूंज रही किलकारी,
खुशियां मना रही है देखो,
आज अयोध्या सारी,
राम लला के जनमदिवस पर,
खुशियां मनाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
महाराजा दशरथ को,
है सबसे पहले बधाई,
मात कौशल्या लेवे बलैया,
फूली नहीं समाई,
मिल जाए नजराना हमको,
झोली फैलाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
ऋषि मुनि आए है,
अब नाम करण करने को,
इतनी भीड़ लगी है देखो,
पाँव नहीं धरने को,
राम नाम रखा है इनका,
सबको बताओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
मैया कबसे खड़े है,
हमको भी दर्श करवा दे,
राम लला की प्यारी सूरत,
एक झलक दिखला दे,
देंगे दुआएं ‘बनवारी’,
ना हमसे छुपाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
आज बड़ा ही शुभ दिन,
मंगलाचार सुनाओ रे,
राम लला जन्मे है,
थाल बजाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
भक्त वत्सल के इस लेख में आप जान सकते हैं, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर राशि अनुसार क्या दान करने से सभी कार्यों में सफलता मिलेगी।
भारत में पूर्णिमा का बहुत महत्व है और देश के प्रमुख क्षेत्रों में इसे पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अधिकांश प्रमुख त्यौहार या वर्षगांठ इसी दिन पड़ती हैं।
वसंत पूर्णिमा की विशेष पूजा से लेकर अन्य धार्मिक गतिविधियों तक, इस पूर्णिमा को वर्षभर में विशेष महत्व दिया जाता है।
डोल पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से बंगाल, असम, त्रिपुरा, गुजरात, बिहार, राजस्थान और ओडिशा में मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति को पालकी पर बिठाया जाता है और भजन गाते हुए जुलूस निकाला जाता है।