राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे ॥
मुर्ख कैकई ने किया है ये सितम,
मुर्ख कैकई ने किया है ये सितम,
दुःख दिल में जो की सब जन पा रहे,
दुःख दिल में जो की सब जन पा रहे,
॥ हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे..॥
रह सकेंगे प्राण तन में क्या मेरे,
रह सकेंगे प्राण तन में क्या मेरे,
ध्यान में ना ये नतीजे ला रहे,
ध्यान में ना ये नतीजे ला रहे,
॥ हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे..॥
क्या विचारा था मेने क्या हो रहा,
क्या विचारा था मेने क्या हो रहा,
फूल आशाओ के खिल मुरझा रहे,
फूल आशाओ के खिल मुरझा रहे,
॥ हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे...॥
गा रहे थे जो ख़ुशी के गीत कल,
गा रहे थे जो ख़ुशी के गीत कल,
आज वे दुःख के विरह यूँ गा रहे,
आज वे दुःख के विरह यूँ गा रहे,
॥ हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे..॥
भाग्य में क्या ये विधाता लिख दिया,
भाग्य में क्या ये विधाता लिख दिया,
पहुंच के मंजिल पे ठोकर खा रहे,
पहुंच के मंजिल पे ठोकर खा रहे,
॥ हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे..॥
रोक ले कोई उन्हें समझाय कर,
रोक ले कोई उन्हें समझाय कर,
ज्ञान प्रभु दिल में यही है मना रहे,
ज्ञान प्रभु दिल में यही है मना रहे,
॥ हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे..॥
राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे ॥
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। जिसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण है।
छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से मनाया जाने वाला पर्व है। जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
हमारे देश में छठ पूजा का पर्व सूर्य और छठी मैया की उपासना का प्रमुख पर्व है ये चार दिनों तक चलता है। यह पर्व विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई वाले हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ पूजा विशेषकर भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है।