रण में आयी देखो काली,
खून से भरने खप्पर खाली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
अष्ट भुजाओं वाला लहंगा,
पहन के मैया आई है,
काट के दुष्टो का सर मैया,
ने माला बनाई है,
चंडी रूप बात निराली,
सजती है मेरी मैया काली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
देख के रूप विराट माँ तेरा,
कई देवता भी हारे,
तेरे आगे विनती करते,
हाथ जोड़ते है सारे,
आखिर में शिव शंकर जी ने,
किया है शांत तुझे माँ काली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
जैसे भैरव बाबा की,
मुक्ति की तूने अम्बे माँ,
महिषासुर को सबक सिखाने,
वाली तू जगदम्बे माँ,
ऐसे ही ‘आशीष बागड़ी’,
चरणों में तेरे आया माँ,
‘हेमंत ब्रजवासी’ ने मैया,
तेरा ही गुण गाया माँ,
खुशियों सबको देने वाली,
जय काली काली ॥
रण में आयी देखो काली,
खून से भरने खप्पर खाली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।
सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इनके राशि बदलने से मनुष्य समेत प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है। बीते 14 जनवरी को सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था। जिसके बाद सूर्य उत्तरायण हो गए और शुभ दिन शुरू हुआ।
आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने अपना राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है।