रंग बरसे लाल गुलाल,
हो गुलाल,
वृषभानलली के मन्दिर में,
सब हो गए लालों लाल, राधा रानी के मन्दिर में ॥
भीगे चुनरी चोली दामन,
मुख हो गए लाल गुलाल,
हो गुलाल,
वृषभानलली ॥
सुन सुन कर साजों की सरगम,
सब नाचें बजाकर ताल,
हो ताल,
वृषभानलली ॥
राधा रूप छटा मन मोहिनी,
कर दरस हो मनवा निहाल,
निहाल,
वृषभानलली ॥
मन ‘मधुप’ डूबा रंग रस में,
सब बोलें जय जयकार,
जयकार,
वृषभानलली ॥
भगवान विष्णु के पांचवें अवतार की आराधना हम कपिल मुनि के रूप में करते हैं। यह अवतार विष्णु जी के 24 अवतारों में से प्रमुख है, जिसे अग्नि का अवतार भी कहा जाता है।
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