रंग बरसे लाल गुलाल,
हो गुलाल,
वृषभानलली के मन्दिर में,
सब हो गए लालों लाल, राधा रानी के मन्दिर में ॥
भीगे चुनरी चोली दामन,
मुख हो गए लाल गुलाल,
हो गुलाल,
वृषभानलली ॥
सुन सुन कर साजों की सरगम,
सब नाचें बजाकर ताल,
हो ताल,
वृषभानलली ॥
राधा रूप छटा मन मोहिनी,
कर दरस हो मनवा निहाल,
निहाल,
वृषभानलली ॥
मन ‘मधुप’ डूबा रंग रस में,
सब बोलें जय जयकार,
जयकार,
वृषभानलली ॥
कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
नाम तेरा दुर्गे मैया हो गया,
दुर्गुणों का नाश करते करते ॥
दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला कार्तिगाई दीपम उत्सव एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥