सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
रूप चतुर्भुज लगे सलोना,
चार भुजा के नाथ जी,
नाथद्वारा में आप विराजे,
बन करके श्री नाथ जी,
दाड़ी में थारो हीरो चमके,
मुकुट विराजे माथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
पंढरपुर में हरी विठ्ठल,
रणछोड़ बस्या डाकोर जी,
बने गोवर्धन आप विराजे,
आकर के इंदौर जी,
द्वार तुम्हारे भक्त खड़े है,
जोड़ के दोनों हाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
वृन्दावन में कृष्ण मुरारी,
जयपुर में गोपाल जी,
दिक्क़ी में कल्याण धणी,
म्हारो साँवरियो नन्दलाल जी,
मोत्या वाला श्याम धणी अब,
सुनलिजो म्हारी बात जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
रोम रोम में बसी है राधे,
आप बसे हो कण कण में,
माता यशोदा के राज दुलारे,
आन बसों मेरे मन में,
शनि मंडली श्याम तुम्हारी,
विनती करे दिन रात जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
सनातन धर्म में तुलसी का खास महत्व है। तुलसी को लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। इसलिए, बिना तुलसी के श्रीहरि की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। सभी घरों में सुबह-शाम तुलसी पूजा की जाती है।
15 दिसंबर से खरमास शुरू होने वाला है। इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी मांगलिक कार्य जैसे:- शादी-विवाह, गृह प्रवेश या फिर मांगलिक संस्कार नहीं किए जाते ।
सनातन धर्म में खरमास को विशेष महत्व बताया गया है। यह एक ऐसा समय होता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में रहते हैं जिसमें मांगलिक कार्य पर रोक रहती है। इस साल खरमास रविवार, 15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी, 2025 को समाप्त होगा।
हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि का काफी महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने सूर्य की राशि परिवर्तन पर संक्रांति मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह में 15 दिसंबर को धनु संक्रांति पड़ रही है।