सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
रूप चतुर्भुज लगे सलोना,
चार भुजा के नाथ जी,
नाथद्वारा में आप विराजे,
बन करके श्री नाथ जी,
दाड़ी में थारो हीरो चमके,
मुकुट विराजे माथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
पंढरपुर में हरी विठ्ठल,
रणछोड़ बस्या डाकोर जी,
बने गोवर्धन आप विराजे,
आकर के इंदौर जी,
द्वार तुम्हारे भक्त खड़े है,
जोड़ के दोनों हाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
वृन्दावन में कृष्ण मुरारी,
जयपुर में गोपाल जी,
दिक्क़ी में कल्याण धणी,
म्हारो साँवरियो नन्दलाल जी,
मोत्या वाला श्याम धणी अब,
सुनलिजो म्हारी बात जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
रोम रोम में बसी है राधे,
आप बसे हो कण कण में,
माता यशोदा के राज दुलारे,
आन बसों मेरे मन में,
शनि मंडली श्याम तुम्हारी,
विनती करे दिन रात जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।
भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के अंश माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को गुरु और भगवान दोनों की उपाधि दी गई है।
वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा होती है।