शंभू नाथ मेरे दीनानाथ मेरे भोले नाथ मेरे आ जाओ,
भक्त तेरे पर विपदा भारी आके कष्ट मिटा जाओ,
ओम नमः शिवाय हरी ओम नमः शिवाय ॥
डम डम तेरा डमरू बाजे,
जिसपे सारी सृष्टि नाचे,
मनका पड़े जब जब डमरू पे ऐसी तान सुना जाओ,
ओम नमः शिवाय हरी ओम नमः शिवाय ॥
एक हाथ त्रिशूल विराजे,
गल सर्पों की माला साजे,
जटा में तेरी मां गंग विराजे अमृत पान करा जाओ,
ओम नमः शिवाय हरी ओम नमः शिवाय ॥
तेरे अघोरी तुझको पूजे,
संग तेरे शमशानों में झूमे
पूरे तन पर भस्म रमा के,
मस्तक पर त्रिकुंड सजा के,
सुंदर रूप दिखा जाओ,
ओम नमः शिवाय हरी ओम नमः शिवाय ॥
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। हालांकि दिवाली की रोशनी से एक दिन पहले हमें अच्छाई और सच्चाई की ओर ले जाने वाला त्योहार आता है, जिसमें हम छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं।
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा पीपल के पेड़ के तने और पांचवा घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।
दिवाली का त्योहार पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इनके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है।