सामने आओगे या आज भी परदा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा तो कैसा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा, तो कैसा होगा,
सामने आओगे या आज भी परदा होगा ॥
मौत आती है तो आ जाये कोई गम ही नहीं,
मौत आती है तो आ जाये, कोई गम ही नहीं,
वो भी तो आएगा, जो मेरा मसीहा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
मैंने मोहन को बुलाया है वो आता होगा,
मैंने मोहन को बुलाया, है वो आता होगा,
वो आता होगा, २
वो आता होगा, २
मैंने, मोहन, को, बुलाया है, वो आता होगा,
मैंने मोहन को बुलाया है वो आता होगा,
तुम भी आना, मेरे घर आज तमाशा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
हम गुनाहगारो ने सोचा ही नही था प्यारे,
हम गुनाहगारो ने, सोचा ही नही था प्यारे,
जिक्र मोहन की गली में, भी हमारा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
सामने आओगे या आज भी परदा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा तो कैसा होगा,
रोज ऐसा ही अगर होगा, तो कैसा होगा,
सामने आओंगे या आज भी परदा होगा ॥
हर साल माघ महीने में भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। इसे एकोदिष्ट श्राद्ध भी कहा जाता है। एकोदिष्ट श्राद्ध कोई भी व्यक्ति कर सकता है। एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वेदों के रचयिता वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य में प्रमुख स्तंभ भीष्म पितामह को बताया गया है। हस्तिनापुर के राजा शांतनु का विवाह देवी गंगा से हुआ था।
मासिक कार्तिगाई एक विशेष हिंदू त्योहार है। यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन दीप जलाने की परंपरा है। इस दिन खासकर घरों और मंदिरों में दीपक जलाया जाता है।
कार्तिगाई दीपम का पर्व मुख्य रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।