साँवरे सा कौन,
सांवरे सा कौन,
कोई मुझको बताओ तो सही,
क्यूँ हो सारे मौन,
सांवरे सा कौन ॥
कोई नहीं है मेरे,
साँवरे सा दानी,
कथा शीश दान वाली,
दुनियाँ ने मानी,
जय जयकार बुलाओ तो सही,
सांवरे सा कौन ॥
मेरा श्याम बाबा करता,
नीले की सवारी,
खाटू नगरिया लागे,
भगतों को प्यारी,
दर्शन करने को जाओ तो सही,
सांवरे सा कौन ॥
साथी बनालो अपना,
काली कमली वाला,
यही है वो खोलता जो,
किस्मत का ताला,
‘श्याम’ हाले दिल सुनाओ तो सही,
सांवरे सा कौन ॥
साँवरे सा कौन,
सांवरे सा कौन,
कोई मुझको बताओ तो सही,
क्यूँ हो सारे मौन,
सांवरे सा कौन ॥
जानकी जी के विभिन्न नामों में सीता, मैथिली और सिया प्रमुख हैं। जानकी जयंती के अवसर पर रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। यहां कुछ चौपाइयां दी गई हैं जो राम भक्ति से परिपूर्ण हैं।
विजया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है।
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
विजया एकादशी के दिन व्रती जातकों को कुछ नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही इस दिन क्या करें और क्या करने से बचना चाहिए। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में जानते हैं।