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सत नाम का सुमिरन कर ले(Satt Nam Ka Sumiran Kar Le)

सत नाम का सुमिरन कर ले(Satt Nam Ka Sumiran Kar Le)

सत नाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होय,

जाग जाग नर निज आश्रम में,

काहे बिरथा सोय,

काहे बिरथा सोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


जेहि कारन तू जग में आया,

वो नाहीं तूने करम कमाया,

मन मैला का मैला तेरा,

काया मल मल धोये,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


जाग जाग नर निज आश्रम में,

काहे बिरथा सोय,

काहे बिरथा सोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


दो दिन का है रैन बसेरा,

कौन है मेरा कौन है तेरा,

हुवा सवेरा चले मुसाफिर,

अब क्या नयन भिगोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


जाग जाग नर निज आश्रम में,

काहे बिरथा सोय,

काहे बिरथा सोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


गुरू का शबद जगा ले मन में,

चौरासी से छूटे क्षण में,

ये तन बार बार नहीं पावै,

शुभ अवसर क्यों खोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


जाग जाग नर निज आश्रम में,

काहे बिरथा सोय,

काहे बिरथा सोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


ये दुनियाँ है एक तमाशा,

कर नहीं बंदे इसकी आशा,

कहै कबीर, सुनो भाई साधो,

सांई भजे सुख होय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।


जाग जाग नर निज आश्रम में,

काहे बिरथा सोय,

काहे बिरथा सोय,

सतनाम का सुमिरन कर ले,

कल जाने क्या होए ।

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शिव का शक्ति पुंज है शिवलिंग, सिंधु घाटी में भी मिला है इसकी पूजा के प्रमाण, इससे जुड़ी इन भ्रातियों से बचें (Shiv ka Shakti Punj hai Shivaling, Sindhu Ghaatee mein Bhee mila Hai isakee Pooja ke Pramaan, isase judee in bhraatiyon se bachen)

देवाधिदेव महादेव की पूजा दो स्वरूप में होती है। एक जो आपने देखा होगा कि वे कैलाश पर्वत पर समाधि की मुद्रा में या माता पार्वती के साथ बैठे हुए हैं और दूसरा शिवलिंग के रूप में जिसकी पूजा हम सभी करते है।

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