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सांवरिया तेरे दीदार ने, दीवाना कर दिया(Sawariya Tere Deedar Ne Deewana Kar Diya)

सांवरिया तेरे दीदार ने, दीवाना कर दिया(Sawariya Tere Deedar Ne Deewana Kar Diya)

सांवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया,

मुझे दीवाना कर दिया,

कहीं भी लागे ना जिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया ॥


साँवली सलोनी छवी,

चित को चुरावे,

मनड़े री डोर खींचे,

जादू सो चलावे,

देखूं जिधर तू ही उधर,

आए है नज़र,

मस्ती में तूने साँवरे,

मस्ताना कर दिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया,

मुझे दीवाना कर दिया,

कहीं भी लागे ना जिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया ॥


तेरी कृपा से श्याम,

दर ये मिला,

सब कुछ भूल गया,

मैं तेरा हुआ,

दीन दयालू ओ कृपालू,

दिल के सबर,

भक्ति की लौ का सांवरे,

परवाना कर दिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया,

मुझे दीवाना कर दिया,

कहीं भी लागे ना जिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया ॥


मेरा हाल ए दिल,

ना तुम से छुपा,

कैसे मिलोगे श्याम,

कुछ तो बता,

अंतर्यामी मेरे स्वामी,

राखे सब खबर,

‘विप्लव’ के पीछे साँवरे,

ज़माना कर दिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया,

मुझे दीवाना कर दिया,

कहीं भी लागे ना जिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया ॥


सांवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया,

मुझे दीवाना कर दिया,

कहीं भी लागे ना जिया,

साँवरिया तेरे दीदार ने,

दीवाना कर दिया ॥

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वट सावित्री पर सोमवती अमावस्या का योग

वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की एक अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसे विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

पहली बार वट सावित्री व्रत करने के नियम

वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की उन विशेष परंपराओं में से एक है जो स्त्री के श्रद्धा, समर्पण और पति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।

वट सावित्री व्रत कैसे करें

वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में स्त्रियों द्वारा पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेषकर ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता हैI

वट सावित्री व्रत की आरती

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा, सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ और वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।

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