शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी,
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी
आँखों से रोज अपनि राहे बुहारती,
कांटे लगे ना कोई कोमल है राम जी,
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी.....
डलियाँ में बेर बागो से चुन चुन के ला रही,
कलियाँ में बेर बागो से चुन चुन के ला रही,
खट्टे हो चाहे मीठे हो खाएँगे राम जी,
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी,
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी.....
आये जब श्री राम जी चरणों में गिर पड़ी,
अंसुअन से धो रही है चरणों को राम जी,
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी,
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी.....
सुन्दर बिछा के आसन बैठाया राम को,
दिया कंद मूल लाकर खाए है राम जी,
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी,
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी.....
प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है।
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है।
माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बहुत खास होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है।