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शंकर का डमरू बाजे रे: शिव भजन (Shankar Ka Damru Baje Re)

शंकर का डमरू बाजे रे: शिव भजन (Shankar Ka Damru Baje Re)

शंकर का डमरू बाजे रे,

कैलाशपति शिव नाचे रे ॥


जटाजूट में नाचे गंगा,

शिव मस्तक पर नाथे चंदा,

नाचे वासुकी नीलकंठ पर,

नागेश्वर गल साजे रे,

शंकर का डमरू बाजे रे,

कैलाशपति शिव नाचे रे ॥


सीस मुकुट सोहे अति सुंदर,

नाच रहे कानन में कुंडल,

कंगन नूपुर चर्म-ओढ़नी,

भस्म दिगम्बर राजे रे,

शंकर का डमरू बाजे रे,

कैलाशपति शिव नाचे रे ॥


कर त्रिशूल कमंडल साजे,

धनुष-बाण कंधे पै नाचे,

बजे 'मधुप' मृदंग ढोल डफ,

शंख नगारा बाजे रे,

शंकर का डमरू बाजे रे,

कैलाशपति शिव नाचे रे ॥


तीनलौक डमरू जब बाजे,

डम डम डम डम की ध्यनि गाजे,

ब्रह्म नाचे, विष्णु नाचे,

अनहद का स्वर गाजे रे,

शंकर का डमरू बाजे रे,

कैलाशपति शिव नाचे रे ॥

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