शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे,
शिव शंकर की मूरत ला दे ।
मूरत ऐसी जिस के सर से,
निकले गंगा धरा ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ वो डमरू वाला,
तन पे पहने मृग की छाला ।
रात मेरे सपनो में आया,
आ के मुझ को गले लगाया ।
गले लगा कर मुझ से बोला,
मैं हूँ तेरा रखवाला ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे,
शिव शंकर की मूरत ला दे ।
मूरत ऐसी जिस के सर से,
निकले गंगा धरा ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ वो मेरा स्वामी,
मैं उस के पट की अनुगामी ।
वो मेरा है तारण हारा,
उस से मेरा जग उजारा ।
है प्रभु मेरा अन्तर्यामी,
सब का है वो रखवाला ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे,
शिव शंकर की मूरत ला दे ।
मूरत ऐसी जिस के सर से,
निकले गंगा धरा ॥
शंकर मेरा प्यारा,
शंकर मेरा प्यारा ।
आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
आज सोमवार है ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है।
गुरुभक्ति का पी लो प्याला, पल में बेड़ा पार है ॥
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन माताएं अपने पुत्रों की कुशलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं।